पॉलीथिन के निस्तारण के लिए ईको-ब्रिक्स सबसे सरल उपाय है। इस इको ब्रिक का प्रयोग स्टूल, टेबल, दीवारें बनाने, पार्क में बैठक बनाने आदि के रूप में किया जा सकता है। प्रारम्भ से ही हमने पर्यावरण संरक्षण गतिविधि में इसे एक ऐसी चीज के रूप में प्रचारित किया है जो पर्यावरण के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन कर सकती है। अपेक्षानुरूप ही इसमें परिणाम भी देखने को मिले है। इको ब्रिक अभियान देश के घर-घर मे पहुंच रहा है। आमजन के साथ प्रशासन भी अहयोग कर रहा है। अरुणाचल प्रदेश में सरकार द्वारा संचालित पचिन सरकार के छात्र और स्वयंसेवक मिलकर इस अभियान को आगे बढ़ रहे है। स्कूल ने न केवल 5000 ईको-ईंटें तैयार की हैं बल्कि बैठने की जगह विकसित करने के लिए उन्हें स्थापित किया है। ईको ब्रिक को कंक्रीट के साथ मिलाकर ईंट के समान प्रयोग करने पर बहुत मजबूत हो जाती हैं। ऐसे उदाहरण हैं जिनमें हमने सामान्य मिट्टी या कंक्रीट की ईंटों की जगह ईको-ईंटों को देखा है। इसकी शक्ति परीक्षण ने अब तक चमत्कारी काम किया है। यह उदाहरण अनुकरणीय है। हम सभी को इस अद्भुत उदाहरण का अनुसरण करने और एक स्वच्छ और हरे भरे परिवेश का निर्माण करने का प्रयास करना चाहिए। ईको-ईंटों के लिए अधिक खर्चें एवं मेहनत की आवश्यकता नहीं होती है, यह हमारे द्वारा घर पर उत्पादित सभी प्लास्टिक कचरे से कुछ समय मे बनाई जा सकती है।
आइए हम शपथ लें कि हम अपने प्लास्टिक कचरे को अपने घरों के बाहर कभी नहीं फेंकेंगे, जैसा कि अरुणाचल प्रदेश के छात्रों ने किया था। नमन उन सभी छात्रों और स्वयंसेवकों को जिन्होंने दिखाया है कि कैसे धैर्य और समर्पण से कुछ भी बदल सकता है। उन्हें एक सुंदर बैठक क्षेत्र विकसित करने के लिए बधाई जो समाज को नव निर्माण को प्रेरित करता रहेगा।
