जल स्त्रोत जीर्णोद्वार से खुशहाली की ओर : आओ संभाले अपनी धरोहर
हमारा जीवन जल, जमीन, वायु और जमीन से होने वाली पैदावार पर निर्भर करता है। भारत जैसा देश अपनी फसल के लिए पूर्णतः मानसून पर निर्भर करता है, इसलिए भी कई जगहों पर फसल खराब होती देखी गई है। पर हिमाचल के एक छोटे से गांव की इस अनूठी पहल ने उनकी सारी परेशानियां दूर कर दी।
सिरमौर की पच्छाद विधानसभा क्षेत्र के बजगा पंचायत के दर्जनों किसानों ने मिलकर एक अनूठी मिसाल पेश की है। इन किसानों द्वारा ऐसे जल स्रोत का जीर्णोद्धार किया है जो प्राचीन समय से ही लोगों की प्यास बुझाता था और सिंचाई में भी अहम योगदान प्रदान करता था,
अब किसानों द्वारा टैंक व बावड़ी का निर्माण किया गया है, जिससे गर्मियों में भी किसानों के पास पर्याप्त मात्रा में पानी होगा। लंबे समय से पानी के स्रोत अपने जीर्णोद्धार की बाट जोह रहे थे, जिसे अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ताओं व किसानों द्वारा जीर्णोद्धार किया गया है।
इस स्रोत के जीर्णोद्धार से जहां करीब 30 बीघा जमीन सिंचित हो रही है, वही एक दर्जन गांव के लोगों को पीने का पानी भी उपलब्ध होता है। यह स्रोत एक ऐसा स्रोत है जिसमें गर्मियों में भी लगातार पानी चलता रहता है।इस स्रोत के जीर्णोद्धार से किसानों को बेहद फायदा पहुंचेगा क्योंकि पहले जहां किसानों को ढुलाई या फिर नदियों से पानी उठाना पड़ता था, अब उन्हें खेतों तक पर्याप्त मात्रा में पानी मिल रहा है। गौर करने वाली बात है कि इस क्षेत्र के सभी किसान ऑर्गेनिक खेती भी करवाते हैं व ऑर्गेनिक खेती से अच्छी पैदावार कमाते हैं। अब इस स्रोत के पानी के जीर्णोद्धार से किसान और भी ज्यादा लाभ उठाएंगे। किसानों द्वारा जहां टमाटर,शिमला मिर्च ,मटर, पेंसिल बीन, लहसुन, प्याज व अदरक की नकदी फसलें कमाते हैं वही गेहूं तूड़िया व सरसों इत्यादि फसलों को भी इस पानी का फायदा हो रहा है। किसान जहां पहले 30 बीघा जमीन पर पैदावार तैयार करते थे वहीं अब दोगुना जमीन पर पैदावार करनी शुरू कर दी है।
किसानों का मानना है कि राष्ट्रीय स्वयं संघ के कार्यकर्ताओं द्वारा एक और जोहड का निर्माण भी किया जाएगा ताकि गर्मियों में फसलों की सिंचाई के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी मिल सके।
