हरितघर- भाग 1

कृष्ण गोपाल वैष्णव

प्रकृति हमारी सच्ची सहचरी है। जब कोई हमारे साथ नहीं होता, तो हमारे साथ प्रकृति होती है। प्राचीन काल से ही पर्यावरण हमारे लिए दैनिक जीवन के अंग रहा है। संपूर्ण विश्व जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव को महसूस कर रहा है। जिसका मुख्य कारक कार्बन डाइऑक्साइड है, जो लगभग 55 प्रतिशत वैश्विक तापन यानी गर्मी के लिये उत्तरदायी है। आदि गुरु चरक ने कहा कि, “स्वस्थ जीवन के लिए शुद्ध वायु, जल तथा मिट्टी आवश्यक कारक हैं।” इसलिए यह अत्यावश्यक है कि हम प्रकृति के इन मूलभूत तत्वों का संरक्षण करें।

पर्यावरण संरक्षण जन-जन का विषय बने, इसके लिए पर्यावरण संरक्षण गतिविधि प्रतिबद्ध है। गतिविधि की सबसे छोटी इकाई “हरितघर” है । हमें हमारी पर्यावरण हितैषी परम्पराओं को पुनः जीवन का अंग बनाकर समाज का मानस परिवर्तन करना है तथा राष्ट्र के प्रत्येक को हरित घर बनाना है। इसके लिए हमें अपने घर से ही प्रयास प्रारंभ करने चाहिए। हमें अपने घर को पूर्णतः पर्यावरण के अनुकूल और हितैषी बनाना है, अर्थात “हरित घर” की संकल्पना को साकार करना है।
हरितघर में मूल रूप से पांच बिंदुओं को सम्मिलित किया गया है-
1. जल संरक्षण
(घर का पानी घर मे।)
2. वन संरक्षण
(पंचवटी अथवा पांच पौधारोपण)
3. भूमि संरक्षण
( कचरा प्रबंधन)
4. ऊर्जा संरक्षण
(घर में सीमित ऊर्जा उपयोग)
5. जीव संरक्षण
(चुग्गा घर एवं परिंडा)

हम सभी अपने दैनिक व्यवहार में परिवर्तन करके “हरित घर’ की संकल्पना साकार कर सकते हैं।  घर को पर्यावरण के अनुकूल बनाने के लिए हमें उक्त पांच चीजों पर ध्यान देने की आवश्यकता है। आइये हम सभी हरितघर का संकल्प लें।
निरन्तर….

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