राजस्थान के नागौर जिले के श्री हिम्मताराम भांभू को अपनी दादी स्वर्गीय श्रीमती नलिनी देवी से प्रकृति प्रेम की सीख मिली। उन्होंने पूरे राजस्थान में लगभग 5.5 लाख पौधे लगाए और अब तक इनमें से 3.5 लाख पौधे पूर्ण विकसित पेड़ बन गए है। उन्होंने विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से खेजड़ी के पेड़ के 2.5 लाख से अधिक उपचारित बीज का निःशुल्क वितरण किया। उन्होंने वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत 28 शिकारियों के विरुद्ध विधिक कार्यवाही की और 14 शिकारियों को जेल भिजवाया। श्री भांभू ने पशुओं पर क्रूरता रोकने की 8 घटनाओं में विधिक सहयोग लिया।
वर्ष 1988 में श्री भांभू ने अपनी पूरी बचत, पुरस्कार राशि और अपने इकलौते पुत्र से प्राप्त पैसे वनीकरण और वन्य जीवों की सेवा में लगाते हुए 6 हेक्टर रेतीली खरीदी तथा उस पर विभिन्न प्रकार के 11000 पौधे लगाए तथा हरिमा पर्यावरण प्रशिक्षण केन्द्र, नागौर नाम से एक जागरूकता केंद्र भी स्थापित किया। उनके केंद्र मे लगभग 300 मोर तथा 1000 से ज्यादा दूसरे पक्षी और पशु रहते है और पक्षियों और जंगली पशुओं के खाने के लिए 20 किलोग्राम अनाज और पीने के लिए 300 कटोरे पानी प्रतिदिन उपलब्ध कराते है। उन्होंने वन विभाग के साथ 4328 वन महोत्सव 5792 पर्यावरण संगोष्ठी, 118 राज्य स्तरीय पर्यावरण चेतना सम्मेलन और 900 किलोमीटर की पदयात्राओं द्वारा पर्यावरण, वन्य जीव संरक्षण, कृषि-वानिकी और जैव विविधता के विषय में जागरूकता बढ़ाने का काम किया।
श्री भांभू को मूक पक्षियों की सुरक्षा एवं पर्यावरण के क्षेत्र में उनके द्वारा किये गए कार्यों के लिए महामहिम राष्ट्रपति माननीय रामनाथ कोविंद ने वर्ष 2020 में पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया। उन्हें और कई पुरस्कार एवं सम्मान प्राप्त हुए हैं। उनको राष्ट्रीय सेवा भारती और संत ईश्वर फाउंडेशन, नई दिल्ली द्वारा ईश्वर सेवा सम्मान-2019, 2003 में अमृता देवी विश्नोई पुरस्कार, राजीव गाँधी पर्यावरण संरक्षण पुरस्कार 2014, सर्वोत्तम वन प्रहरी पुरस्कार-1999, यूनेस्को का पर्यावरण रत्न पुरस्कार-2005, ’वीर दुर्गादास राठौड़ पुरस्कार-2016, वन विस्तारक पुरस्कार- 2004, 2005, कर्णधार सम्मान 2012, ग्रीन आइडियल अवार्ड-2011 आदि सहित पाँच सौ से अधिक पुरस्कार प्राप्त हुए है।
