शिक्षा हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। एक शिक्षित दिमाग जीवन में सबसे मूल्यवान संसाधनों में से एक है। शिक्षा प्राप्त करने के मुख्य चरणों में से एक स्वयं को स्कूल में नामांकित करना है। यह एक ऐसा स्थान है जो मूल्यों और सिद्धांतों के बीज बोता है जो बच्चे के विकास की नींव के रूप में कार्य करता है। स्कूल को ठीक ही “द्वितीय गृह” कहा जाता है।
ईको-ब्रिक्स हमेशा से सबसे आसान मोल्डेबल प्लास्टिक उत्पाद रहा है। कंक्रीट के साथ मिश्रित होने पर हमने इसे सुंदर टेबल टॉप से छतों और यहां तक कि दीवारों में परिवर्तित होते देखा है।
8 जनवरी को “झुन्ना फाउंडेशन” और “महारानी बनारस महिला महाविद्यालय” रामनगर वाराणसी के संयुक्त तत्वावधान में पर्यावरण संरक्षण में ईकोब्रिक्स की भूमिका विषय पर संगोष्ठी का आयोजन सकुशल सम्पन्न हुआ।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि आदरणीय कृष्ण मोहन जी (संयोजक) पर्यावरण संरक्षण गतिविधि काशी प्रांत ने ईकोब्रिक्स कैसे और कितना सहयोगी है पर्यावरण संरक्षण में इस पर प्रकाश डाला,तथा विशिष्ट अतिथि डा. राजेश श्रीवास्तव जी निदेशक-वेस इंडिया ने सिंगलयुस्ड प्लास्टिक पूरे विश्व के लिए किस तरह खतरा बन रहा है इसको डाटा के साथ छात्राओं को बताया और साथ ही पर्यावरण के प्रति उनके दायित्व का बोध कराया। सुनीति शुक्ला ,ममता तिवारी ने भी अपने विचार रखे।
इस अवसर पर रंगोली एवम पेंटिंग प्रतियोगिता भी आयोजित हुई,जिसके निर्णायक मंडल में सुप्रसिद्ध चित्रकार डा. शारदा सिंह जी थीं। उन्होंने प्रतियोगिता में सफल प्रतिभागियों के नाम की उद्घोषणा की और पुरस्कार प्रदान किया। पुरस्कार में छात्राओं को इकोफ्रैडली बैग प्रदान किया गया जो अभ्युदय संस्था के बच्चों द्वारा तैयार किया गया था।
फाउंडेशन हमारे बच्चों को ‘पर्यन प्रहरी’ के रूप में प्रेरित करने और काम करने में मदद करने के लिए ऐसे कई सेमिनार आयोजित करना चाहता है। ईको-ईंटों और उनके सफल उपयोग को नकारा नहीं जा सकता, यह हमारा भविष्य है।
इस संगोष्ठी को लाइव करने वाले सभी स्वयंसेवकों को नमन।
