गाजियाबाद की एमएमएच महविद्यालय की प्रोफेसर डिम्पल विज ने गत 14 वर्षों से अपने रसोईघर के कचरे को बाहर नही फेंका। ये इससे जैविक खाद बनाती है। जैविक खाद बनाने के लिए इन्होंने कहीं से प्रशिक्षण नहीं लिया। पुस्तकों में पढ़कर प्रयास किये। अपने प्रयास में सफल होने के पश्चात् स्वयं प्रशिक्षक बन गयी। अभी तक डिम्पल दो हजार लोगों को प्रशिक्षण दे चुकी है। वो बताती है कि उनके पास इतनी जैविक खाद हो जाती है कि जब वह किसी सेमिनार में जाती है तो वहाँ उपस्थित सदस्यों में खाद बाँटती है। इसी खाद से उन्होंने अपने घर सब्जियां उगानी प्रारम्भ कर दी। उनकी बगिया में भिन्डी, पलक, अरबी, मेथी, धनिया, मिर्च, लहसुन, प्याज, टमाटर, तुलसी, एलोविरा, हल्दी, इलायची, संतरा, अनार, अमरुद, चीकू, मोसमी, आम, जामुन और अन्य कई पेड़ पौधे लगे हुए है। सिम्पल के सॉलिड वेस्ट मेनेजमेंट पर छः शोधपत्र प्रकाशित हो चुके है। प्रशासन के साथ मिलकर डिम्पल स्वीपर, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता एवं ग्रामप्रधानों को जैविक खाद का प्रशिक्षण देती है।
रसोई के कचरे से जैविक खाद – स्वस्थ रहें हम और आप
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