रंग पंचमी सम्पूर्ण राष्ट्र में एक प्रमुख पर्व है। होली की तरह ही यह त्योहार भी हर्सोल्लास और रंगों से सराबोर होता है।महाराष्ट्र में इस पर्व का अधिक महत्व है। माना जाता है कि इस दिन हवा में रंग और गुलाल उड़ाने से वातावरण में सकारात्मकता का संचार होता है। जिसका प्रभाव व्यक्ति के मन-मस्तिष्क और जीवन पर पड़ता है।
सकारात्मक वातावरण को बनाए रखने, पंचतत्वों का संतुलन भी बना रहना अतिआवश्यक है और वृक्ष इस कार्य मे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। अतः सभी लोगो का यह दायित्व है कि वो वृक्षो के संरक्षण में अपना योगदान दे। इसी नैतिक संदेश के साथ पर्यावरण संरक्षण गतिविधि के कार्यकर्ताओ ने रंगपंचमी के सुअवसर पर जल स्रोत ( कुंड ) की सफाई व पौधों की सिंचाई का कार्य किया।
पर्यावरण संरक्षण गतिविधि का यह प्रयास सभी को प्रोत्साहित करने वाला व सभी के लिए अनुकरणीय है। आदरणीय श्री कैलाश जी चव्हाण जी और श्री विष्णु जी सोमसे जी ने कुंड की सफाई में अपना योगदान दिया। पौधो की सिंचाई का सेवाकार्य श्री टेकाडे सहाब जी,श्री ओमप्रकाश जी, कासनिया जी,श्री सदाशिव जी पाटिल,बटुगिर बावा जी और गुरुकुल के विद्यार्थियों ने किया।
वही मंदिर के समीप स्थित गुफा की भी सफाई कर मिट्टी निकालने के श्रमदान का शुभारम्भ गुरुकुल विद्यार्थियों द्वारा किया गया । इस सेवाकार्य को श्री शिवाजी राऊत जी ,श्री बालासाहेब जी माने, श्री अरुणजी ,नले जी और गुरुकुल के विद्यार्थियों ने मिल-जुलकर सम्पन्न किया। पर्यावरण संरक्षण के उद्देश्य से इस पावन पर्व पर किए गए सेवाकार्य समाज और युवा तरुणाई को सकारात्मक संदेश देकर उन्हें पर्यावरण संरक्षण में सहभागिता करने प्रेरित करेंगे।
