मेरठ के नदीपुत्र ने नदी कायाकल्प, खाद की खेती से लेकर नदी नीव की शुरुआत कर ‘वसुदेव कुटुंबकम’ की मिसाल कायम की है

रमन कांत को अक्सर ‘नदी पुत्र‘ कहा जाता है, जो वर्षों से नदी के कायाकल्प और खाद की खेती की दिशा में अभूतपूर्व काम कर रहे हैं। मेरठ के रहने वाले रमन ने नीर फाउंडेशन नाम से अपना फाउंडेशन भी शुरू किया है।

नीर गंगा-यमुना दोआब के आसपास प्राकृतिक संसाधनों, भूमि, पशु और पौधों के जीवन की देखभाल करता है। वे 2004 से ऐसा कर रहे हैं।

उनके अंतहीन प्रयासों ने उन्हें एक ऐसा स्थान दिलाया है जहां वे अब बात कर सकते हैं और विभिन्न पर्यावरण अधिकारों की रक्षा कर सकते हैं। वे स्थानीय लोगों तक पहुंचे हैं, उन्हें बेहतर तकनीकों के साथ शिक्षित किया है, उन्हें उनके अधिकारों के बारे में बताया है और बाद में ड्राइव में उनकी भागीदारी तक पहुंच हासिल की है।

वे एक प्रदूषण मुक्त दुनिया की दिशा में काम कर रहे हैं जहां हर व्यक्ति का स्वस्थ अस्तित्व हो और हर क्षेत्र में सतत विकास को बढ़ावा मिले।

अपनी स्थानीय और राष्ट्रीय पहलों के माध्यम से नीर फाउंडेशन वैश्विक पहलों से जुड़ता है और सकारात्मक वैश्विक प्रभाव पैदा करने में विश्वास करता है।

स्थानीय लोगों की भागीदारी और सभी स्तरों पर निर्णय लेने के साथ उन्हें सशक्त बनाना और संसाधनों पर नियंत्रण पर्यावरणीय गिरावट से बाहर निकलने का प्रमुख तरीका है।

नीर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिलों जैसे मेरठ, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, बिजनौर, गाजियाबाद, बुलंदशहर, बागपत, गौतमबुद्धनगर, हापुड़, शामली, अलीगढ़, एटा, फरुखाबाद, कन्नौज, कासगंज और मुरादाबाद सहित क्षेत्रों में सक्रिय रूप से काम कर रहा है। लेकिन अपने विभिन्न कार्यक्रमों और अभियानों के माध्यम से पड़ोसी राज्यों में भी इसने अपना प्रभाव फैलाया है।

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Mohit Goswami
Mohit Goswami
1 year ago

Nice Raman sir

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