मनुष्यों ने कचरे से एक पहाड़ बना दिया और अब वह पहाड़ आग का गोला बना हुआ है। दिल्ली के भलस्वा लैंडफिल साइट पर कूड़े के इस पहाड़ में लगी भीषण आग से विभिन्न प्रकार की जहरीली गैसें निकल रही है जैसे ज्वलनशील गैस मीथेन । इसके धुएं के कारण लोगों को सांस लेने में परेशानी व आंखों में जलन होने लगी है। परिणामस्वरूप आस पास के स्कूलों को भी बंद करना पड़ा है। आये दिन इस कचरे के पहाड़ में आग लगती रहती है और आसपास के लोगों को सांस लेने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। दिल्ली के इस कूड़े के पहाड़ में मीथेन लीक होने का सीधा असर जलवायु परिवर्तन पर पड़ता है। इसमें से हाइड्रोजन सल्फाइड जैसी जहरीली गैसें भी निकलती हैं, जो सालों तक हवा में बनी रहती हैं।
इस परेशानी का कारण हम स्वयं है। हम लोग वातावरण की परवाह किए बिना आवश्यकता से अधिक। कचरा जनरेट कर रहे हैं। आज हमारा ध्यान कचरे के निस्तारण पर ज्यादा होना चाहिए। उदाहरण के तौर पर प्लास्टिक कचरे का उपयोग। इको ब्रिक्स बनाने में किया जा सकता है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि 50 टन ई वेस्ट में से केवल 20%ई वेस्ट को ही रीसाइकल किया जा सकता है, बाकी का 80% कचरे के पहाड़ के रूप में वातावरण के लिए खतरा बनता है। आधुनिकता की इस अंधी दौड़ में हम आवश्यकता से अधिक इलेक्ट्रॉनिक संसाधनों का उपयोग कर रहे हैं। इलेक्ट्रॉनिक संसाधनों का उचित उपयोग समाज के विकास के लिएआवश्यक है परन्तु अनावश्यक रूप से इलेक्ट्रॉनिक संसाधनों का अनुचित संग्रह ई वेस्ट को बढ़ावा दे रहा है। अगर इस ई वेस्ट को सही समय पर रीसाइकल नहीं किया गया तो यह पर्यावरण के लिए बहुत बड़ा खतरा खतरा बन सकता है। इस दिशा में। हमारे वैज्ञानिकों को भी ध्यान देने की आवश्यकता है। साथ ही साथ समाज के प्रबुद्ध वर्ग को लोगों को ई वेस्ट के प्रति जागरूक करने की जिम्मेदारी निभानी होगी।
