हमें अपने स्कूलों के पाठ्य पुस्तकों के वह अध्याय बखूबी याद है। जिनमें बताया जाता है कि नदी के किनारे पेड़ लगाए जाने से बाढ़ को रोका जा सकता है। अपनी पुस्तकों में दी गई इस शिक्षा की ओर हमने कभी ध्यान नहीं दिया।
बरसों तक बिहार और यहां की जनता का दुख एक ही रहा, “बाढ़” जिससे मिट्टी का कटाव होता है। आमतौर पर मानसून पूरे देश में लोगों के लिए खुशियां लेकर आता है लेकिन यहां बिहार में तबाही मचाता है।
मानसून और गर्मियों से पहले सक्रिय पर्यावरणविदों ने मिट्टी के कटाव को रोकने के लिए नदी के किनारे पेड़ लगाने का फैसला किया है।
इस अभियान का नेतृत्व पर्यावरण संरक्षण जितेंद्र मिश्रा ने अन्य स्वयंसेवकों के साथ ‘स्वच्छ और हरित दरभंगा ड्राइव’ के नाम से किया।
उनके साथ “स्वच्छ और हरित दरभंगा” के उनके सर्वकालिक समर्थक और निर्देशक बने रहे लक्षमेश झा जिन्होंने बागमती नदी के किनारे पेड़ लगाए।
27 फरवरी, 2022 को 40 पौधे रोपे गए।
टीम इसे बिहार का दुख दूर करने का प्रयास बताते हुए इस तरह के और अभियान चलाने को तैयार है।
पर्यावरण संरक्षण गतिविधि में हम इन स्वयंसेवकों के प्रति आभार व्यक्त करते हैं जिन्होंने इन समस्याओं के बारे में सोचने के लिए समय निकाला। हमें विश्वास है कि उनके छोटे-छोटे प्रयास निश्चित रूप से निकट भविष्य में एक महत्वपूर्ण बदलाव में योगदान देंगे।
