#भारत में सालाना लगभग 6 करोड़ टन कचरा निकलता है, जिसमें 25940 टन प्लास्टिक कचरा होता है। वहीं लगभग 50 प्रतिशत प्लास्टिक, सिंगल प्रयोग वाला होता है, जिसको रिसायकल नहीं कर सकते हैं । इनके अत्यधिक उपयोग की सबसे बड़ी वजह इनका सस्ता, सुविधाजनक और आसानी से उपलब्ध होना है।
हम सब जानते हैं कि #प्लास्टिक हमारे लिए खतरनाक है और इससे #पर्यावरण को काफी नुकसान पहुँचता है, हमें इसके प्रयोग से बचना चाहिए |
क़्या आपको पता है कि बच्चों के डायपर में भी प्लास्टिक का प्रयोग होता है|यह प्लास्टिक नष्ट होने में 450 से 500 साल लेता है | इस अंतराल, अगर यह प्लास्टिक किसी जानवर के पेट में चला जाता है तो उसकी मृत्यु भी हो सकती है | अगर यह पीने के पानी में मिलता है तो अनेकों बिमारियों को जन्म देता है, कैंसर भी उनमें से एक है |यह प्लास्टिक हमारी कृषियोग्य भूमि को बंजर बनाता है, जिससे मिट्टी की उर्वरता तो कम होती ही है , अनाज के उत्पादन पर भी प्रतिकूल असर पड़ता है | थोड़ी सी सुविधा और लालच के लिए इंसान न केवल अपनी सेहत, बल्कि पर्यावरण और समूची सभ्यता से खिलवाड़ कर रहा है।
जब हम जानते हैं कि इसके इतने दुष्परिणाम हो सकते हैं तो क़्या हम अपनी जिंदगी में थोड़ा बदलाव नहीं ला सकते? क़्या डायपर की जगह हम कपड़े का प्रयोग नहीं कर सकते ? जरूर कर सकते हैं, क़्योंकि ये किसी की जिंदगी का सवाल है |
यदि हम सच में अपनी आने वाली पीढ़ी को स्वस्थ भारत देना चाहते हैं तो हमें दृढ़ #संकल्प के साथ प्लास्टिक के प्रयोग को अपने जीवन में कम करना होगा ।
