प्रकृति के लिए अगर आप कुछ करना चाहते हैं तो उसमें बहुत कुछ की जरूरत नहीं होती है। इसके लिए एक दृढ़ इच्छा शक्ति की जरूरत होती है। प्रकृति के प्रति जब तक हमारी विचारधारा आंतरिक वाहवाही दृष्टिकोण से केंद्रित नहीं होगी तब तक प्रकृति की सुरक्षा और संरक्षण की बात अधूरी सी रह जाएगी। प्रकृति के लिए कुछ ऐसा ही काम कर रहे हैं उत्तराखंड के रहने वाले धन सिंह घरिया।
उन्होंने प्रकृति संवारों अभियान की शुरुआत की है। इस अभियान को शुरू करने का मकसद है कि प्रकृति को सुरक्षित और संरक्षित किया जा सके। उनका कहना है कि प्रत्येक व्यक्ति के मन में प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से घर हो या बाहर कहीं ना कहीं प्रकृति रूपी धरती मां के सिंगार के लिए अपनी भावनाओं को जोड़ना ही संवारों अभियान के समान है। वह मानते हैं कि छोटे मोटे बदलाव के जरिए घरों के आसपास खाली जगह में पेड़ लगाए जा सकते हैं। इसके साथ ही वीरान वह सुरक्षित जगह पर बीज बम गिरा कर वहां भी एक छोटा जंगल तैयार किया जा सकता है।
धन सिंह कहते हैं कि इस तरह के काम के जरिए हम सब प्रकृति के लिए बहुत कुछ कर सकते हैं। जंगलों में बहुत सारे जीव – जंतुओं को संवारने की आवश्यकता है। पशु पक्षी जो दाना चुगते हैं। वह बाद में जगह-जगह जाकर बिखेर भी देते हैं। ऐसे में एक सकारात्मक प्रयास के जरिए हम बहुत कुछ बदलाव कर सकते हैं। हम सब कुछ भी फल खाने के बाद उसके बीजों को संरक्षित करने के बजाय कूड़े में फेंक देते हैं। हम सब को भी इसे संरक्षित करने की जरूरत है। हम सब इस बात को जानते हैं कि बूंद-बूंद से ही घड़ा भरता है। यदि धरती पर रहने वाला प्रत्येक मनुष्य इस तरह की भावना रखेगा तो पृथ्वी पर हमेशा हरियाली ही रहेगी।
उन्होंने जंगलों की रक्षा के लिए बहुत कुछ किया है और अभी भी प्रकृति को बचाने या दूसरों को ऐसा करने के लिए प्रेरित करने के लिए काम करते हैं। इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि जंगलों में लगने वाली आग के लिए सरकारें कुछ नहीं करती हैं। इसके लिए आम आदमी को ही आगे आना होता है
धन सिंह मानते हैं कि हम सबको प्रकृति और जंगली जानवरों से बहुत कुछ सीखने की जरूरत है। अब एक ऐसा समय आ गया है जब पूरा भूमंडल अनेक प्रकार की आपदाओं का सामना कर रहा है। ऐसे में हम सबकी जिम्मेदारी बनती है कि छोटे-छोटे कामों के जरिए प्रकृति में कुछ बदलाव कर सकें। हम सब अक्सर भूल जाते हैं कि यदि वातावरण को साफ सुथरा रखेंगे तो हमारा जीवन भी अच्छा होगा।
