आइए आज बात करते है “नदी पुत्र” के नाम से प्रसिद्द रमन कांत त्यागी की ।
रमन कांत पिछले कई वर्षो से जल संरक्षण के क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं।काली नदी से लेकर, हिंडन नदी, नीम नदी के साथ तमाम तालाबों को पुनर्जीवित करने में इनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है।यह “नैचुरल एन्वायरन्मेंटल एजुकेशन एण्ड रिसर्च फाउंडेशन ” नामक संस्था के संस्थापक भी हैं जो पर्यावरण के क्षेत्र में काम करती है।इस्तान्बुल में 16 से 22 मार्च 2009 तक होने वाले पांचवे वर्ल्ड वाटर फोरम की कांफ्रेंस में रमन कांत भाग ले चुके हैं।अक्टूबर 2009 में बैंकाक की थामासाट यूनीवर्सिटी में 7वें एशिया वाटर एण्ड एन्वारन्मेंट फोरम में भी भाग लेने के लिए रमन कांत को आमंत्रित किया गया।
‘ वसुधैव कुटुम्बकम्’ की अवधारणा के साथ सक्रियता से पर्यावरण संरक्षण के लिए तय किए गए उद्देश्यों की पूर्ति में लगे हुए रमन कांत त्यागी नीर फाउंडेशन के साथ कार्य करते हुए अब जल संवर्धन, पर्यावरण संरक्षण व नदी पुनर्जीवन का कार्य कर रहे है। इस दौरान जहां गंगा-यमुना दोआब की छोटी नदियों के लिए तकनीकी, नीतिगत व जमीनी कार्य प्रारम्भ किया। इसमें हिण्डन, काली पूर्वी, काली पश्चिमी, कृष्णी, नागदेही, पांवधोई, धमोला, नीम व करवन नदियों का उद्गम खोजने तथा काली पूर्वी व नीम नदी के उद्गम को पुनर्जीवित करने का कार्य प्रारम्भ किया। इन नदियों की आवाज को समाज से लेकर सरकार तक पहुंचाया। अपने नदी के कार्य के आधार पर नदी पुनर्जीवन मॉडल तैयार किया। नदियों के प्रति समर्पण को देखते हुए अब समाज इनको “नदीपुत्र” के नाम से जानने लगा है।
