जल प्रमुख मुकेश जी के प्रयासों से प्रेरित होकर सभी छात्र ईको-ब्रिक्स तैयार करने लगे;प्रांत – जोधपुर

प्लास्टिक के रूप में कचरे का बोझ धरती मां और उसके सुंदर पारिस्थितिकी तंत्र का दम घोंट रहा है, चाहे वह समुद्री जीवन हो या भूमि जीवन। हाल के दशकों के विकास में, मनुष्य प्लास्टिक को दैनिक जीवन सामग्री के रूप में बनाने की अपनी उच्च क्षमता तक पहुँच गया है। पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान ने हमें कचरे के बारे में सोचने एवं पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभावों को कम करने, और कचरे का निस्तारन करने के लिए मजबूर किया है जिसमें कंक्रीट, ईंट, लकड़ी और अन्य मलबे जैसी सामग्री शामिल है।

निर्माण, उपयोग और निपटान में रसायनों के उपयोग के कारण, प्लास्टिक की बोतलें तेजी से पर्यावरण के लिए खतरा बनती जा रही हैं। इसके परिणामस्वरूप जलमार्गों और लैंडफिल में प्रदूषण की समस्याएँ पैदा हुई हैं और यह लगातार बढ़ रहा है।
जोधपुर के झरोली (सिरोही) में, राजस्थान के, जल प्रमुख मुकेश जी के प्रयास एवं प्रेरणा से स्थानीय क्षेत्र के विद्यालय जाने वाले विद्यार्थी, ईको ब्रिक्स तैयार करने में अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान दे रहे हैं। प्रत्येक छात्र ईको-ईंटों को ढालने के लिए अपशिष्ट और प्लास्टिक की बोतल लाते है। यदि यह कार्य निरंतर चलता रहा तो कचरा प्रबंधन को गति मिलेगी। और ग्लोबल वार्मिंग के मुद्दे को कम करने में योगदान मिलेगा । यह एक ऐसा समय है जब किसी को मुकेश जी से प्रेरणा लेनी चाहिए और धरती मां को बर्बादी से बचाने में अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान देना शुरू करना चाहिए।

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