ट्राईक्लोसन ( टीसीएस) साबुन, डिटर्जेंट और अन्य कीटाणुनाशक में पाया जाता है जो एक सामान्य घरेलू एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-फंगल एजेंट है। घरेलू उत्पादों में जिनमें टीसीएस होता है, लगभग 96% मात्रा को इस्तेमाल के बाद अंततः नाली में फेंक दिया जाता है। इस प्रकार, टीसीएस ज्यादातर जलीय वातावरण में पाया जाता है, टीसीएस अपने पर्यावरणीय संचय और दृढ़ता जैसे गुणों के कारण एक पर्यावरणीय खतरा बन गया है क्योंकि इसे पूरी तरह से हटाया जाना असंभव है।
टीसीएस तथा अन्य केमिकल के कारण जलीय जीवन खतरे में आ गया है । ये केमिकल मानव जीवन में भी अनेक प्रकार की त्वचा से संबंधित बिमारियों एवं कैंसर इत्यादि को जन्म दे रहे है ।
पर्यावरण संरक्षण के लिए हमें केमिकल फ्री चीजों पर निर्भर होना होगा इसी संबंध में दिल्ली में “बायो एंजाइम” का सफल प्रयोग किया गया है जिसे घरेलू चीजों से बनाया गया है।
बायो एंजाइम ग्रीन वेस्ट से बनता है और ग्रीनहाउस के प्रभावों को भी कम करता है, इसे साफ सफाई के लिए भी प्रयोग किया जाता है ।
बायो एंजाइम को एक लीटर पानी में गुड या शक्कर, जो कि ऑर्गेनिक हो, और 200 ग्राम ग्रीन वेस्ट ( ग्रीन वेस्ट में प्याज और लहसुन का छिलका नहीं होना चाहिए ) को मिलाकर 90 दिनों में बनाया जा सकता है ।
