विकास के इस युग में मानव ने अनेक ऐसी उपयोगी वस्तुओ का अविष्कार किया है जिन्होंने मनुष्य जीवन को सुविधाजनक बना दिया है | 1965 में किये गए इस अविष्कार को आप आज माउंट एवरेस्ट से लेकर समुद्र की गहराइयों तक सब जगह पा सकते हैं | समुद्र के किनारे हो या फिर सुन्दर पहाड़ ,नदियाँ हो या नालियाँ ,घर हो या बाजार ,भूमि के ऊपर हो या मिट्टी के अंदर ,इस मानवीय खोज ने आज ऐसा प्रभाव जमा दिया हैं कि मनुष्य का दैनिक जीवन इसके बिना अकल्पनीय लगता हैं | इस उत्सुकता को यही समाप्त करते हुए हम इस मनुष्य द्वारा अपनी सुविधा के लिए निर्मित अविष्कार के नाम को जानते हैं ,यह हैं पॉलीथीन थैली |
यदि कभी आप अपने घर में एक पॉलीथीन थैली ढूढ़ने का प्रयास करे तो आपको सैंकड़ो की संख्या में पॉलीथीन थैली मिल जाएँगी | आज प्रत्येक उत्पाद आपको पॉलीथीन थैली में मिल जायेगा | चाहे घर में रोज आने वाला दूध हो ,राशन का सामान हो ,सब्जियां हो ,फल हो ,सब कुछ पॉलीथीन थैली में उपलब्ध हैं और घर आकर यह पॉलीथीन बैग कचरे में तब्दील हो जाते हैं | क्या आप जानते हैं कि हमारी इस सुविधा का पर्यावरण पर कितना दुष्प्रभाव पड़ रहा हैं ?हम अपनी आने वाली पीढ़ी के लिए कितनी गंभीर समस्या खड़ी कर रहे हैं ?यदि हम एक माता पिता होने के नाते अपने बच्चो की पढाई ,उनकी नौकरी या रोजगार के बारे में इतने चिंतित रहते हैं ,उनके भविष्य के लिए धन संपत्ति के बारे में सोचते हैं तो क्या पॉलीथीन के कारण भविष्य में हमारी अगली पीढ़ी के जीवन में आने वाली समस्याओं और उनके समाधान के बारे में सोचना हमारी जिम्मेदारी नहीं हैं ?
आज के समय पॉलीथीन या प्लास्टिक थैली का उपयोग इतनी अधिक मात्रा में हो रहा हैं कि विश्व भर में प्रतिवर्ष खरबों पॉलीथीन थैली उपयोग के बाद कचरे में तब्दील हो जाती हैं | अनुमान के अनुसार एक व्यक्ति साल भर में ५ से ६ किलो पॉलीथीन बैग का उपयोग करता हैं | ये पॉलीथिन थैली आसानी से नष्ट नहीं होती |एक अनुमान के अनुसार पॉलीथीन को नष्ट होने में सैकड़ो वर्ष लग जाते हैं | इसका मतलब साठ के दशक से जो भी पॉलीथिन का उपयोग हम लोगों ने किया हैं ,वह नष्ट नहीं हुई हैं बल्कि किसी न किसी रूप में हमारी नाली को बंद कर रही होगी ,गाय या अन्य पालतू पशुओ के पेट में होगी ,समुद्र के पानी में तैर रही होगी या फिर मिटटी के अंदर दबकर उसकी उर्वरा शक्ति को नष्ट कर रही होगी |
कितना आसान हो गया हैं न ,जब भी जो भी सामान चाहिए ,बाजार से आसानी से पॉलीथीन बैग में ले आइये | न गिरने का डर और न ही भीगने का डर | मगर जरा रुकिए ,जरा सोचिये ,उसके बाद क्या ?
कुछ समय तक आप आत्म चिंतन कीजिये ,फिर अगले लेख में विचार करेंगे कि कैसे हम और आप मिलकर बना सकते हैं “पॉलीथीन मुक्त भारत
