ऋतु विज्ञान और मानव

कृष्ण गोपाल वैष्णव, जोधपुर।

 

विश्व मौसम विज्ञान संगठन (World Meteorological Organization) संयुक्त राष्ट्र का एक विशेष संगठन है, जिसकी स्थापना 23 मार्च 1950 को हुयी। स्थापना दिवस के उप्लक्षय में इस दिन को विश्व मौसम विज्ञान संगठन के रूप में जाना जाता है। इसका मुख्यालय जिनेवा में स्थित है तथा इस संगठन में वर्तमान में 193 राष्ट्रों की सदस्यता है. इस संगठन का का प्रयोग बाढ़, सूखा और भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं का अनुमान लगाने, चक्रवातों की संभावनाएँ, हवाई एवं समुद्री यातायात को मौसम की सटीक जानकारी देने के लिए किया जाता है। प्रतिवर्ष इस दिवस को एक ध्येय वाक्य घोषित किया जाता है जिसे थीम बनाकर सम्पूर्ण वर्ष के लिए कार्ययोजना बनती है। इस वर्ष का ध्येय वाक्य है – “प्रारम्भिक चेतावनी और प्रारम्भिक कार्यवाही”।

मनुष्य जीवन का अस्तित्व पूर्णरुपेण मौसम विज्ञान पर निर्भर करता है। इसे हम इस बात से समझ सकते है कि सभी सभ्यताएं मौसमी प्रभावों से काल कवलित हुई। जलवायु परिवर्तन के कारण सम्पूर्ण प्राणी जगत में परिवर्तन होता है। निश्चित रूप से हम पिछले कालखंड की तुलना में एक उन्नत एवं भौतिकवादी युग में निवास कर रहे है परन्तु यह उन्नति हमें पर्यावरण के अनियंत्रित दोहन के कारण प्राप्त हुयी है। वस्तुतः विकास किसी भी दृष्टि से बुरा नहीं है प्रकृति भी अपना विकास करती है, परन्तु हमने विकास के जिस मार्ग को चुना है वह पर्यावरण हितैषी नहीं है। जलवायु परिवर्तन एक प्राकृतिक प्रक्रिया है परन्तु मानवीय गतिविधियों के कारण हुआ जलवायु परिवर्तन चिंता का विषय है। जलवायु परिवर्तन के प्राकृतिक कारणों में भूस्खलन, ज्वालामुखी विस्फोट, समुद्री चक्रवात, बाढ़, सूखा आदि है। प्रमुख मानवीय कारणों में ग्रीन हाउस प्रभाव, शहरीकरण, औद्योगिकीकरण, वनोन्मूलन, खनिज खनन, जनसँख्या वृद्धि तथा जनसख्या वृद्धि के कारण प्रत्येक संसाधन का अत्यधिक दोहन, रासायनिक खाद एवं उर्वरकों का असीमित उपयोग आदि है। जैसे-जैसे जनसंख्या में वृद्धि हो रही है वैसे-वैसे प्राकृतिक तथा पर्यावरणीय संसाधनों पर अनावश्यक दबाव भी बढ़ता जा रहा है। जलवायु परिवर्तन के कारकों में विकसित देशों का सबसे अधिक योगदान है, लेकिन इससे होने वाले परिणाम सभी देशों को समान रूप से भुगतने पड़ रहे हैं। राष्ट्रों की सीमाएं बनी हुई है परन्तु प्रकृति के लिए सम्पूर्ण पृथ्वी एक है। जिस मानसून के कारण भारत की वित्त व्यवस्था भी प्रभावित होती है , उसके निर्माण की प्रक्रिया भारत की तट रेखा से हजारों मील दूर हिंद महासागर स्थित द्वीपीय देश मेडागास्कर के तट से आरंभ होती है।
वर्तमान में पूरा विश्व जिस जलवायु परिवर्तन की चुनौती का सामना कर रहा है वह भी मौसम से सम्बंधित है। सोचने वाली बात यह है कि क्या कारण है कि वैश्विक स्तर पर पर्यावरण पर चिंतन-मनन हो रहा है। संगोष्ठियाँ और बैठके हो रही है। वैज्ञानिक और पर्यावरण विशेषज्ञ पर्यावरण के संरक्षण के लिए अनेक शोध एवं प्रयोग कर रहे है। पुरे विश्व में इतने संगठन स्थापित हुए है। प्रत्येक दिन को प्रकृति से जोड़कर संरक्षण की बात की जाती है। इन सबके पश्चात् भी पर्यावरण के क्षरण की समस्या कम होने के स्थान पर बढती ही जा रही है। मौसम के अनियमित परिवर्तन की चुनौती को केवल सरकारों या संस्थागत स्तर पर हल नहीं किया जा सकता, अपितु इसके लिए सामुदायिक और व्यक्तिगत प्रयासों की भी आवश्यकता होगी। समाज में जागरूकता की आवश्यकता है। प्रत्येक व्यक्ति को अपने स्तर पर अपने घर से प्रयास करना होगा।

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments
0
Would love your thoughts, please comment.x
()
x