ईकोब्रिक से दीवार
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सांगली (महाराष्ट्र )मे मोती चौक में मानसी क्लिनिक के पास ईकोब्रिक से दीवार बनाई गई है। सूखे पानी की बोतल में अच्छी तरह से पैक किए गए सूखे पॉलीथीन के टुकड़े को भरने से जो ईंट जैसा बनता है उसे ‘इको ब्रिक कहा जाता है। ऐसी बोतलें ही ईंटें हैं!
इस दीवार के निर्माण में उन्हीं ईंटों का प्रयोग किया गया है। दस वर्ग फुट दीवार के निर्माण में 80 ईंटों की जरूरत पडी। इस निर्माण को करते समय ईंट यानि बोतल को कंस्ट्रक्शन वायर की सहायता से लपेटा गया है। दो परतोंके बीच मे सीमेंट कंक्रीट भरा हुआ हैं। यह हुनर शिल्पकार राघवेंद्र हनमाकर ने किया है। जब काम पूरा हुआ, तो यह इतना खूबसूरत हो गया कि इसने सबका ध्यान आकर्षित किया है। इसके लिए प्रसिद्ध वास्तुकार प्रमोद चौगुले और पर्यावरण कार्यकर्ता डॉ मनोज पाटिल ने मार्गदर्शन प्राप्त किया।
प्लास्टिक से भरी हुई इन 80 ईंटों को अगर मिट्टी में फैंक दिया जाता तो दो एकड़ जमीन को नुकसान हो सकता था। अगर मिट्टी या सीमेंट की ईंटों का इस्तेमाल करना होता तो आठ वर्ग फुट जमीन का शोषण करना पड़ता।
पृथ्वीशोषण के स्थान पर मिट्टी के संरक्षण का यह कार्य अनुकरणीय है।
छात्र सूखी और बेकार पॉलिथीन को सूखी प्लास्टिक की बोतलों में भरने का काम प्रसन्नता से करते हैं। इस छोटी सी पहल से बच्चे को पर्यावरण की रक्षा के लिए आसानी से शिक्षा दिलवा सकते हैं। अतः अब इस कॉन्सेप्ट को सभी स्कूलों से अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है।
