हमारे स्वतंत्रता सेनानियों एक महत्वपूर्ण सपना देखा था, स्वराज्य का सपना। स्वराज्य से वो केवल जनता का राज नही उनकी भागीदारी भी चाहते थे।
बाराबंकी के लोगों ने हम स्वराज्य की सही परिभाषा को चरितार्थ करके दिखाया है। उन्होंने अपने निरंतर प्रयास से एक बंजर पड़ी भूमि को खूबसूरत तालाब में परिवर्तित किया।
इस सुंदर तालाब के पीछे है मोहित जी के विचार और उनकी कड़ी मेहनत। जहां सरकारी तंत्र भी जमीनें खाली करवाने में असमर्थ थे वही मोहित जी जो खुद ही वन विभाग में कार्यरत है उन्होंने बेहतरीन तरकीब निकाली। न सिर्फ लोगों ने बारी बारी से अपनी जमीनों को उन्हें सौंपा बल्कि उनकी पहल का हिस्सा भी बने। आम जन की मेहनत का नतीजा ये था के 12 हेक्टेयर की बंजर भूमि जो गर्मी में दरारों से भरी होती थी वहां आज 1.2 करोड़ लीटर पानी का एक रिजॉर्वियर है।
तालाब के आस पास बैठने के लिए टेबल लगाई गई अब ये महज तलब नही पर्यटक स्थल भी है। आस पास के लोग यहां मछली पालन और सिंघाड़े की खेती के अवसर तलाश रहे हैं।
इस झील ने न सिर्फ खूबसूरती विकसित की बल्कि रोजगार के साधन भी उपलब्ध करवाए। हम मोहित जी और उनके निरंतर परिश्रम को नमन करते हैं।
सही अर्थों में मोहित जी सच्चे पर्यावरण संरक्षक हैं।
