बात पर्यावरण की होती है तो पेड़, पानी, पहाड़, पॉलिथीन के साथ-साथ पशु पक्षियों की भी चर्चा होती है। पेड़, पानी, पॉलिथीन पर बहुत से सामाजिक संगठन वर्षों से काम कर रहे हैं और इस दिशा में अपेक्षित परिणाम भी सामने आ रहे हैं। पिछले कुछ वर्षों में अनेक मीडिया संस्थानों ने अपने समाचारों में पक्षियों की लुप्त होती अनेक प्रजातियों की भी चर्चा की है। इसी संदर्भ में जयपुर एवं आसपास के क्षेत्र में पिछले कुछ वर्षों में गोरैया, छोटी चिड़िया और कौओं की संख्या में तेजी से गिरावट देखने को मिली है।
इस विषय को गंभीरता से लेते हुए जयपुर के मुरलीपुरा क्षेत्र में रहने वाले संस्कृति चिल्ड्रंस एकेडमी के निदेशक श्री अशोक कुमार शर्मा ने प्रभावी कार्य किए हैं। श्री अशोक कुमार शर्मा यूं तो लगभग तीन दशक से सामाजिक कार्य कर रहे हैं, किंतु वर्ष 2018 के प्रारंभ में वे अमृता देवी पर्यावरण नागरिक (अपना) संस्थान के साथ जुड़े और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में कार्य करना शुरू किया। इस संदर्भ में जब निरंतर अध्ययन करते गए तो पक्षियों का महत्व भी समझ में आया। उसी समय अनेक समाचार पत्रों में गौरैया के गायब होने की खबरें पढी तो मन में विचार आया कि इस दिशा में कुछ अलग करना होगा।
उन्होंने विचार किया कि किसी भी पक्षी की संख्या यदि कम हो रही है और उनका संरक्षण करना है तो उनके लिए आवास, भोजन तथा सुरक्षा की समुचित व्यवस्था हो जाए तो निश्चित रूप से लुप्त होते पक्षियों की संख्या को बढ़ाया जा सकता है। श्री अशोक कुमार बताते हैं कि इस संदर्भ में पहली प्राथमिकता उन्होंने पक्षियों के आवास को दी और पक्षियों के आवास के लिए एक साथ 25000 घोंसले लकड़ी एवं कागज से तैयार करके बनवाए। इन घोसलो को विभिन्न संस्थानों में एवं घरों में लगा कर देखा तो ध्यान में आया कि 10 – 15 दिन में गौरैया ने इन घोसलो में अपना ठिकाना बना लिया। अपेक्षित परिणामों से उत्साहित होकर पक्षियों के आवास की व्यवस्था को आधुनिक स्वरूप देते हुए 2BHK, 3BHK, 5 बीएचके जैसे अत्याधुनिक घोंसले बनाए जाने लगे। पिछले 3 वर्ष में श्री अशोक कुमार शर्मा के निर्देशन में पक्षियों के लिए ढाई लाख से अधिक घोंसले बनवाकर वितरित किए जा चुके हैं।
अब बारी थी पक्षियों के लिए भोजन की। इस दिशा में भी लीक से हटकर विचार करते हुए उन्होंने सोचा कि जब मनुष्य एक ही प्रकार के भोजन से बोरियत महसूस करने लगता है तो पक्षियों के लिए भी विभिन्न प्रकार के स्वाद से परिपूर्ण भोजन की व्यवस्था करनी चाहिए। आखिर हम लोग “मानव पशु तरु गिरि सरिता में, एक ब्रह्म को पहचाना है” विचार को मानने वाले हैं। इसलिए पक्षियों में परमेश्वर का स्वरूप देखते हुए अपने विद्यालय की छत पर इन्होंने बर्ड रेस्टोरेंट पक्षियों के लिए रेस्टोरेंट तैयार करवाया। आनंददायक विषय यह है कि इस रेस्टोरेंट में सभी प्रजातियों के पक्षी आते हैं और उनके लिए लगभग 15 प्रकार का भोजन प्रतिदिन तैयार रहता है।
पक्षियों के लिए चार प्रकार के बिस्किट, चावल, बाजरा, मक्का, ज्वार, गेहूं, लड्डू, कई प्रकार की नमकीन, ब्रेड, दूध रोटी, दही रोटी, मिर्ची, अमरूद, आम, टमाटर, खीरा, मूंगफली जैसे भोजन अलग-अलग पात्रों में रखे जाते हैं।
यदि आपको जयपुर शहर में एक साथ अनेक प्रकार के पक्षी देखने हैं तो आप श्री अशोक कुमार शर्मा के निर्देशन में चल रहे चिल्ड्रंस एकेडमी की छत पर बर्ड रेस्टोरेंट्स का मुआयना करने किसी भी दिन प्रातः 7:00 बजे के आसपास पहुंच जाइए, आपको सैकड़ों पक्षी वहां भोजन करते हुए मिलेंगे। इस बर्ड रेस्टोरेंट में विभिन्न प्रकार की चिड़िया, कौआ, मैना, तोता, बुलबुल, कोयल, कमेडी, कबूतर इत्यादि आप एक ही स्थान पर देख सकते हैं।
श्री अशोक कुमार शर्मा बताते हैं कि निरंतर उनके यहां आने वाले पक्षियों की संख्या बढ़ रही है और पक्षियों के भोजन पर किसी समय 20 – 25 रूपये प्रतिदिन का खर्च होता था, वह बढ़कर अब लगभग ₹ 500 रुपये प्रति दिन अर्थात लगभग ₹15000 रुपये प्रति माह का खर्च आ रहा है। श्री अशोक कुमार शर्मा के संस्कृति चिल्ड्रंस एकेडमी के परिसर को देखते हैं तो यहां लगभग 300 फ्लैट गौरैया के लिए तैयार करके लगवाए गए हैं। इस परिसर में लगभग 600 चिड़िया गौरैया आप देख सकते हैं। आप जब भी इस परिसर में आते हैं तो चिड़िया की चहचहाहट आपके मन को प्रफुल्लित कर देती है। विद्यालय के विद्यार्थी भी ऐसा आकर्षक मनमोहक वातावरण देखकर हर्षित होते हैं। पिछले 3 वर्ष में अनेक लोग यहां आकर यह प्रयोग देख चुके हैं। अनेक टीवी चैनल एवं समाचार पत्रों के संवाददाता भी आकर पक्षियों से प्रेम की यह विशिष्ट परियोजना देख चुके हैं।
